नग्माये जिन्दगी और दिले-साज है शायरी
ये न हो तो फिर नाशाद नासाज है ज़िंदगी !
शायरी के अलावा और कोई दवाए दिल नहीं
मुफ्त की चीज समझकर छोड़ दी इसीलिए तो पशेमां हो तुम !
---अश्विनी रमेश !
ये न हो तो फिर नाशाद नासाज है ज़िंदगी !
शायरी के अलावा और कोई दवाए दिल नहीं
मुफ्त की चीज समझकर छोड़ दी इसीलिए तो पशेमां हो तुम !
---अश्विनी रमेश !
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