ज़िंदगी कोई साहिल नहीं मंज़िल नहीं ये तो सफर है यारब
जिसमे कतराए पानी से समंदर और समंदर से कतरे का सफर करना है !
कुदरत की अजब गज़ब दुनिया में इन्सा सबसे खुदगर्ज़ शय है यारब
पेड़ है जो देता ही है लेता कुछ नहीं इन्सा है जो कुदरत से सिर्फ लेता है देता कुछ नहीं !
--अश्विनी रमेश !
जिसमे कतराए पानी से समंदर और समंदर से कतरे का सफर करना है !
कुदरत की अजब गज़ब दुनिया में इन्सा सबसे खुदगर्ज़ शय है यारब
पेड़ है जो देता ही है लेता कुछ नहीं इन्सा है जो कुदरत से सिर्फ लेता है देता कुछ नहीं !
--अश्विनी रमेश !
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