अब अपनी न कोई आरज़ू और न तसब्बुर रहा 'रमेश'
हम इसलिए खुश हैं कि तुम्हारी आरज़ू तुम्हारे तसब्बुर के लिए जीते हैं !
बड़े होकर भी तुममे बच्चे की सी मासूमियत रहे
तब समझना कि तुमको मोहब्बते खुदा हासिल है !
- अश्विनी रमेश
हम इसलिए खुश हैं कि तुम्हारी आरज़ू तुम्हारे तसब्बुर के लिए जीते हैं !
बड़े होकर भी तुममे बच्चे की सी मासूमियत रहे
तब समझना कि तुमको मोहब्बते खुदा हासिल है !
- अश्विनी रमेश
zabardast pt. ji,
ReplyDeletethought ekdam saaf hai..
achhoota aur
apke qirdaar mein
rachaa-basaa
hua...