शायरी मेरी कलम से--अश्विनी रमेश
मेरी शायरी व् अन्य शायरों की शायरी जिनको इस ब्लॉग पर आमंत्रित और अनुमत किया जायेगा !
Saturday, February 25, 2012
Monday, December 19, 2011
Tuesday, November 22, 2011
Monday, October 17, 2011
Sunday, September 25, 2011
Thursday, May 12, 2011
शायरी--मेरी कलम से!--आज का शेर-(यह लिंक क्लिक करें)
अफसानाये ज़िंदगी को सुनने के लिए मासूम दिल चाहिए
ये वोह राज है जो हर किसी को नहीं बताया जाता !
--अश्विनी रमेश !
ये वोह राज है जो हर किसी को नहीं बताया जाता !
--अश्विनी रमेश !
Wednesday, May 11, 2011
शायरी--मेरी कलम से!--आज का शेर-(यह लिंक क्लिक करें)
नग्माये जिन्दगी और दिले-साज है शायरी
ये न हो तो फिर नाशाद नासाज है ज़िंदगी !
शायरी के अलावा और कोई दवाए दिल नहीं
मुफ्त की चीज समझकर छोड़ दी इसीलिए तो पशेमां हो तुम !
---अश्विनी रमेश !
ये न हो तो फिर नाशाद नासाज है ज़िंदगी !
शायरी के अलावा और कोई दवाए दिल नहीं
मुफ्त की चीज समझकर छोड़ दी इसीलिए तो पशेमां हो तुम !
---अश्विनी रमेश !
Tuesday, May 10, 2011
शायरी--मेरी कलम से!--आज का शेर-(यह लिंक क्लिक करें- विडियो सहित)
ज़िंदगी कोई साहिल नहीं मंज़िल नहीं ये तो सफर है यारब
जिसमे कतराए पानी से समंदर और समंदर से कतरे का सफर करना है !
कुदरत की अजब गज़ब दुनिया में इन्सा सबसे खुदगर्ज़ शय है यारब
पेड़ है जो देता ही है लेता कुछ नहीं इन्सा है जो कुदरत से सिर्फ लेता है देता कुछ नहीं !
--अश्विनी रमेश !
जिसमे कतराए पानी से समंदर और समंदर से कतरे का सफर करना है !
कुदरत की अजब गज़ब दुनिया में इन्सा सबसे खुदगर्ज़ शय है यारब
पेड़ है जो देता ही है लेता कुछ नहीं इन्सा है जो कुदरत से सिर्फ लेता है देता कुछ नहीं !
--अश्विनी रमेश !
Sunday, May 8, 2011
शायरी--मेरी कलम से! --आज का शेर (यहाँ लिंक क्लिक करें-शेर विडियो सहित हैं)
इस बज्मे शायरी को मदहोशी में पहुँच जानो दो 'रमेश'
लासानी को ये शिकवा न रहे इसमें,मज़ा आया तो क्या आया!
मेरे लिए हर दिन हर लम्हा नया है 'रमेश'
दस्तूरे-कुदरते दरिया मे बहता हुआ एक कतरा हूँ मैं !
सरूरे शायरी तो मेरी कुदरती फितरत है यारब
ये वोह नशा है जो कभी टूटता नहीं !
---अश्विनी रमेश !
लासानी को ये शिकवा न रहे इसमें,मज़ा आया तो क्या आया!
मेरे लिए हर दिन हर लम्हा नया है 'रमेश'
दस्तूरे-कुदरते दरिया मे बहता हुआ एक कतरा हूँ मैं !
सरूरे शायरी तो मेरी कुदरती फितरत है यारब
ये वोह नशा है जो कभी टूटता नहीं !
---अश्विनी रमेश !
Saturday, May 7, 2011
शायरी--मेरी कलम से! --आज का शेर (यहाँ लिंक क्लिक करें-शेर विडियो सहित हैं)
जब हम हैं तो जोशे-बज्मे-शायरी है 'रमेश'
जहाँ हम नहीं वहाँ न जोश है न बज़्म है और नाही शायरी !
पता नहीं क्योँ किसी बहत अपने को तलाशती है हमारी रूह
ये वोह एहसास है जो ताजिंदगी बना रहता है !
इन्सा से कोई उम्मीद है न शिकवा है 'रमेश'
बस खुदा का शुक्र करतें हैं उसने जो दिया बहत काफी दिया !
--अश्विनी रमेश !
जहाँ हम नहीं वहाँ न जोश है न बज़्म है और नाही शायरी !
पता नहीं क्योँ किसी बहत अपने को तलाशती है हमारी रूह
ये वोह एहसास है जो ताजिंदगी बना रहता है !
इन्सा से कोई उम्मीद है न शिकवा है 'रमेश'
बस खुदा का शुक्र करतें हैं उसने जो दिया बहत काफी दिया !
--अश्विनी रमेश !
Friday, May 6, 2011
शायरी--मेरी कलम से!--आज का शेर-(इस लिंक को क्लिक करें) विडियो सहित है !
ये हसरत तो हर कोई रखता है कि इश्क दिवानगी तक पहुंचे
मगर ये ऐसा नशा है जो टूट जाने पर सिर्फ दर्दे-दिल देता है !
मैं एक फ़कीर सी जिंदगी बसर करने में खुश हूँ 'रमेश'
मुझे बस अब कुछ नहीं चाहिए तेरे दीदार के बाद !
--अश्विनी रमेश !
मगर ये ऐसा नशा है जो टूट जाने पर सिर्फ दर्दे-दिल देता है !
मैं एक फ़कीर सी जिंदगी बसर करने में खुश हूँ 'रमेश'
मुझे बस अब कुछ नहीं चाहिए तेरे दीदार के बाद !
--अश्विनी रमेश !
Thursday, May 5, 2011
शायरी--मेरी कलम से!--आज का शेर-
अब अपनी न कोई आरज़ू और न तसब्बुर रहा 'रमेश'
हम इसलिए खुश हैं कि तुम्हारी आरज़ू तुम्हारे तसब्बुर के लिए जीते हैं !
बड़े होकर भी तुममे बच्चे की सी मासूमियत रहे
तब समझना कि तुमको मोहब्बते खुदा हासिल है !
- अश्विनी रमेश
हम इसलिए खुश हैं कि तुम्हारी आरज़ू तुम्हारे तसब्बुर के लिए जीते हैं !
बड़े होकर भी तुममे बच्चे की सी मासूमियत रहे
तब समझना कि तुमको मोहब्बते खुदा हासिल है !
- अश्विनी रमेश
Wednesday, May 4, 2011
शायरी--मेरी कलम से!--आज का शेर-
मोहबत में जब दिलो से रुह के फासले तय नहीं होते
तो दिल जब टूटते हैं तो कोई आवाज़ नहीं होती!
कुछ गुल ऐसें हैं जिनको खिजां आ गयी महकने से पहले
बस तुम एक बार चूम लो इनको बिखरने से पहले!
- अश्विनी रमेश
तो दिल जब टूटते हैं तो कोई आवाज़ नहीं होती!
कुछ गुल ऐसें हैं जिनको खिजां आ गयी महकने से पहले
बस तुम एक बार चूम लो इनको बिखरने से पहले!
- अश्विनी रमेश
Tuesday, May 3, 2011
शायरी मेरी कलम से...आज का शेर
आज का शेर---
दोस्तो,
कहते हैं कि गज़ल चार शेरों से कम नहीं होती! लेकिन मैं आज तीन शेर आपकी नज़र कर रहा हूँ अब आप इसे जो भी कहें, वेसे मेरा वायदा तो रोज कम से कम एक शेर का है! चलो इसे आधी नज्म और आधी गज़ल कह दें तो भी चलेगा--
अर्ज किया है कि--
गर हम ना होते तो ये सिलसिले ना होते
गर होते भी तो ये फिर इस तरह ना होते
हम इतना भी नहीं है कि तूझे आसमां दिखाएं
ये भी तो ना भूलो कि तुम ज़मीं के हो
बस ये अहसास कर लो कि तुम अपनी ज़मीं के हो
बस ये अहसास कर लो कि तुम अपनी ज़मीं के हो
---अश्विनी रमेश
दोस्तो,
कहते हैं कि गज़ल चार शेरों से कम नहीं होती! लेकिन मैं आज तीन शेर आपकी नज़र कर रहा हूँ अब आप इसे जो भी कहें, वेसे मेरा वायदा तो रोज कम से कम एक शेर का है! चलो इसे आधी नज्म और आधी गज़ल कह दें तो भी चलेगा--
अर्ज किया है कि--
गर हम ना होते तो ये सिलसिले ना होते
गर होते भी तो ये फिर इस तरह ना होते
हम इतना भी नहीं है कि तूझे आसमां दिखाएं
ये भी तो ना भूलो कि तुम ज़मीं के हो
बस ये अहसास कर लो कि तुम अपनी ज़मीं के हो
बस ये अहसास कर लो कि तुम अपनी ज़मीं के हो
---अश्विनी रमेश
Monday, May 2, 2011
शायरी--मेरी कलम से!
शायरी मेरी कलम से--
दोस्तो आज से में अपने ब्लॉग पर इस नयी ब्लॉग-पोस्ट को शुरू करने जा रहा हूँ,आशा है की उर्दू शायरी का शौक रखने वालों को यह पोस्ट पसंद आएगी! नहीं तो फिर में और निशात लासानी तो हैं हीं जिनको इस फन का खूब शौक है ! इसके तहत मैं रोज कम से कम एक शेर आपकी नज़र-"आज का शेर टाइटल से रखूँगा! यदि मुनासिब हुआ तो अपनी ही जुबाँ से विडियो भी लोड करूँगा!
तो शेर अर्ज है--
आज का शेर-
माना के मोहबत जन्नत है यारब
फिर ये हकीकत होते होते ख्वाब क्यों होती है!
दोस्तो आज से में अपने ब्लॉग पर इस नयी ब्लॉग-पोस्ट को शुरू करने जा रहा हूँ,आशा है की उर्दू शायरी का शौक रखने वालों को यह पोस्ट पसंद आएगी! नहीं तो फिर में और निशात लासानी तो हैं हीं जिनको इस फन का खूब शौक है ! इसके तहत मैं रोज कम से कम एक शेर आपकी नज़र-"आज का शेर टाइटल से रखूँगा! यदि मुनासिब हुआ तो अपनी ही जुबाँ से विडियो भी लोड करूँगा!
तो शेर अर्ज है--
आज का शेर-
माना के मोहबत जन्नत है यारब
फिर ये हकीकत होते होते ख्वाब क्यों होती है!
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