Tuesday, May 3, 2011

शायरी मेरी कलम से...आज का शेर

आज का शेर---

                  दोस्तो,
                            कहते हैं कि गज़ल चार शेरों से कम नहीं होती! लेकिन मैं आज तीन शेर आपकी नज़र कर रहा हूँ अब आप इसे जो भी कहें, वेसे मेरा वायदा तो रोज कम से कम एक शेर का है! चलो इसे आधी नज्म और आधी गज़ल कह दें तो भी चलेगा--
अर्ज किया है कि--

गर हम ना होते तो ये सिलसिले ना होते
गर होते भी तो ये फिर इस तरह ना होते

हम इतना भी नहीं है कि तूझे आसमां दिखाएं
ये भी तो ना भूलो कि तुम ज़मीं के हो

बस ये अहसास कर लो कि तुम अपनी ज़मीं के हो
बस ये अहसास कर लो कि तुम अपनी  ज़मीं के हो
                                                                                  ---अश्विनी रमेश

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